कच्चा माल : सामान्य तौर पर उद्योगों की स्थापना कच्चे माल के स्थानों पर की जाती है जिससे परिवहन लागत कम होती है। अगर हम 100 रुपए का लोहा और उतने ही कीमत का कपास खरीदेंगे तो कौन-सा अधिक वजनदार होगा आप स्वयं सोच सकते हैं। लोहा, एल्यूमिनियम, बॉक्साइट चूने का पत्थर आदि भारी अयस्क हैं। इससे इन उत्पादन क्षेत्रों से दूर औद्योगिक इकाई स्थापित करने पर यातायात का खर्च उत्पादन के मूल्य को अधिक बढ़ा देगा।
इसलिए इस तरह के उद्योगों की स्थापना इनके समीप की जाती है। कोरया में एल्युमिनियम का कारखाना, भिलाई में लोहा इस्पात कारखाना और दुर्ग के जामुल में सीमेंट कारखाना खदानों के पास लगाया गया है। इसके विपरीत कपास का भार बहुत ही कम होने के कारण कपास के परिवहन या उससे बने धागे के परिवहन में होने वाला खर्च अपेक्षतया कम होता है। इसीलिए सूती वस्त्र उद्योग बाज़ार के समीप लगाया जा सकता है।