पूँजी : औद्योगीकरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण ज़रूरत है पूँजी की। पूँजी उपलब्ध कराने के लिए कई संस्थाओं का स्थापित होना आवश्यक है जैसे शेयर बाज़ार, बैंक और बीमा कंपनियों। इनके होने से किसी भी उद्योगपति को कारखाने लगाने के लिए ज़रूरी पूँजी उपलब्ध होती है। लोग अपना धन खाली और अनुपयोगी न रखें और उसे लाभ कमाने के लिए निवेश करें इसके लिए बैंक जैसी संस्थाएँ जरूरी है।
उद्योगों में व्यक्तिगत पूँजी केवल व्यापारिक तथा लाभ की दृष्टि से लगाई जाती है और इस प्रकार की पूँजी से उन्हीं स्थानों पर उद्योग स्थापित होते हैं, जहाँ लाभ की संभावना लगभग निश्चित हो। जैसे मुंबई के कपड़ा उद्योगों में व्यक्तिगत पूँजी का आकर्षण इसी दृष्टिकोण से हुआ था।
विदेशी व्यक्तिगत पूँजी भी इसी लक्ष्य से उद्योगों में लगाई जाती है। इसके विपरीत सरकारी पूँजी निवेश केवल आर्थिक लाभ को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता है। पिछड़े हुए प्रदेशों के विकास तथा प्राकृतिक संपत्ति के उपयोग, संतुलित विकास को ध्यान में रखकर सरकारी पूँजी निवेश किया जाता है। भिलाई इस्पात संयंत्र इसका एक उदाहरण है।