अनवीकरणीय संसाधन वे हैं जो पृथ्वी पर एक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। उनका उपयोग करने के बाद उनका भण्डार कम हो जाता है। वे अपने-आप नवीकृत नहीं होते। हैं। जैसे लौह अयस्क, कोयला, खनिज तेल इत्यादि।
उदाहरण के लिए घात्विक खनिजों से एक बार धातु बना दी जाए तो खनिज कम हो जाएँगे। यदि हमें नए खनिज भण्डार नहीं मिले, तो ये खत्म हो जाएँगे। एक दिन ऐसा भी आएगा जब सारे भण्डार समाप्त हो जाएँगे। आज भी कई खदानें बंद हो चुकी है क्योंकि उन खदानों के खनिज समाप्त हो चुके हैं। जैसे छत्तीसगढ़ का दल्ली राजहरा का लौह अयस्क खदान।
यह तालिका कच्चे तेल के भण्डारों के अनुमान को दर्शाती है। यदि कच्चे तेल का प्रयोग वर्तमान दर पर जारी रहे तो यह भण्डार कितने वर्ष चलेंगे? विश्वभर में ये भण्डार अगले 53 वर्षों में समाप्त हो जाऐंगे। भारत खनिज तेल के आयात पर निर्भर है, क्योंकि यहीं तेल के पर्याप्त भण्डार नहीं है।
जैसे-जैसे भण्डार कम होंगे और इसके भाव बढ़ेंगे तो भारत पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। यदि यहाँ तेल की कीमतें बढ़ती है तो प्रत्येक व्यक्ति पर भार बढ़ेगा। अतः बुद्धिमानी इसी में है कि हम इन अनवीकरणीय संसाधनों का उपयोग कम करें यथासंभव उन्हें ज़रूरत पड़ने पर ही उपयोग करें और इनके विकल्पों की तलाश जारी रखें। उदाहरण के लिए खनिज तेल आधारित उर्जा की जगह हम सौर उर्जा या पवन उर्जा का उपयोग बढ़ा सकते हैं।
दुनिया के बड़े देश दूसरे देशों की चिंता नहीं करते। वे यही सोचते हैं कि इन संसाधनों के स्रोतों पर कब्जा जमा लें ताकि उन्हें संसाधनों की कमी न हो।
संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जिनके पास तेल भण्डार तो कम है लेकिन वे सैन्य और आर्थिक शक्ति के बल पर दूसरे देशों के संसाधन भण्डार पर नियंत्रण करना चाहते हैं। इस नीति का परिणाम युद्ध और लोगों की तबाही के रूप में सामने आ रहा है।
कुछ अनवीकरणीय संसाधन के लिए उनका पुनर्चक्ररण (Recycle) किया जा सकता है जैसे- बॉक्साइट से एल्युमिनियम एवं एल्युमिनियम से बर्तन तैयार किया जाता है। इसमें बॉक्साइट तो पुनः बनाया नहीं जा सकता है किन्तु एल्युमिनियम को गलाकर पुनः उपयोग किया जा सकता है।