उद्योग और मज़दूर : 1880 के बाद रूसी शासक आधुनिक उद्योगों के महत्व को समझने लगे क्योंकि वे अपनी सेना के लिए आधुनिक हथियार व रेलमार्ग चाहते थे जो बड़े कारखानों में ही बनते थे। अतः जारशाही राज्य ने रूस में उद्योगों को लगाने की पहल की।
ब्रिटेन या फ्रांस में जहाँ मध्यम वर्ग के धनी व्यापारी आदि छोटे उद्योग लगाते थे, रूस में राज्य ने विदेशी निवेशकों को बड़े कारखाने लगाने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें कई रियायतें दीं।
इस कारण रूस का औद्योगीकरण भी अभिजात्य राज्य के नियंत्रण में ही रहा और वहाँ एक स्वतंत्र मध्यम वर्ग या शक्तिशाली पूँजीपति वर्ग का विकास नहीं हो सका। लेकिन बढ़ते औद्योगीकरण के साथ-साथ शहरीकरण भी हुआ। वहाँ बड़ी संख्या में औद्योगिक मज़दूर रहने लगे जिन्हें बहुत ही कम वेतन पर दयनीय हालातों पर काम करना पड़ता था।
रूस में जो कारखाने बने वे बहुत बड़े थे जिनमें हज़ारों मज़दूर एक साथ काम करते थे। इस कारण मजदूरों में आपस में संगठन बनाने और अपनी माँगों के लिए एक साथ लड़ने की क्षमता बनी। ज़्यादातर मज़दूर गाँव के किसान परिवारों से थे और इस कारण गाँव की समस्याओं से गहरे रूप में जुड़े हुए थे।