क्रोमाइट अयस्क (Chromite ore) क्रोमियम का एक मात्र अयस्क क्रोमाइट है। मैंगनीज़ की तरह क्रोमियम का भी उपयोग लोह इस्पात में मिश्रण के लिए किया जाता है। इसके उपयोग से उच्च ताप सहने वाला इस्पात बनता है। इस्पात में क्रोमियम की थोड़ी मात्रा (3%) मिलाने पर रेती (आरी), कुल्हाड़ी, और हथौड़े आदि बनाने के लिए कठोर इस्पात बनता है। इससे थोड़ी अधिक मात्रा (12 से 15%) मिलाने पर उष्मा सह घर्षण और संक्षारण सह इस्पात बनता है जिसका उपयोग रसोई घर के बर्तन छुरी-कॉटा, मशीन की बेयरिंग आदि बनाने में किया जाता है। क्रोमियम के साथ निकिल मिलाने पर इस्पात में भाप, जल, आर्द्र वायु तथा अम्ल द्वारा होने वाले क्षरण को सहने की क्षमता आती है। क्रोमियम के साथ टंग्स्टन, कोबाल्ट और मालिब्डेनम मिलाने से बहुत ही मजबूत इस्पात तैयार होता है जिसे स्टेलाइट कहते हैं जिससे उच्छ वेग वाली मशीनों के पुर्जे बनाए जाते हैं। क्रोमाइट का उपयोग उच्च ताप वाली मट्टियों में किया जाता है। इसका उपयोग रंग, चमड़ा और वस्त्र उद्योगों में भी किया जाता है।
भारत में क्रोमियम का कुल अनुमानित भंडार (1) अप्रैल 2010 में) 20.3 करोड़ टन आँका गया है। ओडिशा में भारत का क्रोमियम का सर्वाधिक मंडार है, ये विशेषकर सुकिन्दा घाटी कटक एव जाजपुर जिलों में पाया जाता है।