नवीकरणीय संसाधन वे है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं से नवीकृत होते रहते हैं। ये पृथ्वी पर सतत रुप से विद्यमान है जैसे, वायु जल, वन, पशु इत्यादि। यदि मनुष्य इनकी नवीकरण की प्रक्रिया में बाधा न डाले और उनका एक सीमा के अन्दर उपयोग करे तो वे सतत उपलब्ध रहेंगे।
इनके उपयोग की एक सीमा है। इस सीमा के बाद अथवा गलत उपयोग से संसाधनों का अवनयन (बिगड़ना) होता है और उनके नवीकरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए जल पृथ्वी पर सतत् विद्यमान है। सागरों से जल वाष्पीकृत होकर जलवाष्प बनता है जो संघनित होकर वर्षा के रुप में महाद्वीपों को प्राप्त होती है।
वर्षाजल का कुछ भाग भूमि में रिस कर भूजल बनता है और शेष भाग नदियों से बहकर पुनः सागर में चला जाता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और जल नवीकृत होते रहता है। हम इन प्राकृतिक प्रक्रियाओं में कई अवरोध पैदा कर देते हैं या गलत उपयोग करके उन्हें प्रभावित करते हैं।
इससे नवीकरणीय प्रक्रियाएँ प्रभावित होती हैं। उदाहरण के लिए यदि पृथ्वी पर वन कम हो जाएँ पेड़-पौधों का आवरण कम हो तो वर्षा के जल को भूमिन में रिसने का मौका नहीं मिलेगा। भूजल का स्तर (रिचार्ज) प्रभावित होता है। धीरे-धीरे कुएँ व नलकूप सूखने लगेंगे।
नदियों में गंदा पानी बहाया जाता है। यदि यह कम मात्रा में हो तो बहता हुआ जल और उसमें मौजूद जीव इसे साफ करने की क्षमता रखते हैं परन्तु आज अत्यधिक मात्रा में कचरा डाला जाता है और बाँध व सिंचाई के कारण नदियों में पानी का बहाव भी कम होता जा रहा है। इस कारण नदियाँ अपने आप को साफ नहीं कर पा रही हैं।
देखते-देखते नदियों गंदे नालों में बदल जाती हैं। यदि हमें इस प्रदूषण को रोकना है, तो हमें कचरे का अन्य उपयोग करना पड़ेगा। जैसे खाद बनाने के लिए या पानी को साफ करके बगीचों में उपयोग करने के लिए इत्यादि। इसके साथ-साथ उद्योगों द्वारा निकाले जाने वाले कचरे को पुन उपयोग (रिसाईकिल या पुनःचक्रित) करना होगा। नदी में पानी की मात्रा बढ़ायी जाए ताकि वे जीवित रह पाएँ और उनकी प्राकृतिक नवीकरण की प्रक्रिया चलती रहे।
अतः यह आवश्यक है कि इन संसाधनों का प्रयोग उसके नवीकरण के चक्र को ध्यान में रखकर करें तो बेहतर होगा। हमें यह भी ध्यान देना होगा कि हम जितने संसाधन का उपयोग कर रहे हैं वे उतने नवीकृत हो पाएँ। इसी प्रकार यदि किसी क्षेत्र में भूमिगत जल का दोहन या उपयोग उसके रिचार्ज से ज्यादा है तो भूमिगत जल का स्तर कम होगा।