प्रथम विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाएँ

प्रथम विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाएँ

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अपने राजकुमार के मारे जाने पर ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर 28 जुलाई 1914 को आक्रमण कर दिया। सर्बिया की मदद से रूस ने ऑस्ट्रिया पर हमला किया। फ्रांस ने भी रूस की मदद की घोषणा की। जर्मनी ने रूस के विरुद्ध 1 अगस्त और फ्रांस के विरुद्ध 3 अगस्त 1914 को युद्ध की घोषणा कर दी। जर्मनी ने फ्रांस पर तेजी से आक्रमण करने के लिए बेल्जियम के मार्ग से अपनी सेना भेजना शुरू किया तो ब्रिटेन ने 4 अगस्त को जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।

इस प्रकार यूरोप के सारे प्रमुख देश तथा उनके विश्वव्यापी उपनिवेश युद्ध में शामिल हो गए। 23 अगस्त को जापान ने जर्मनी के विरुद्ध लड़ने की घोषणा की और अक्टूबर में तुर्की रूस के विरुद्ध बमबारी करके युद्ध में सम्मिलित हो गया। इटली पहले तो जर्मनी के खेमे में था मगर अप्रेल 1915 में एक गुप्त संधि के द्वारा वह ब्रिटेन के साथ हो गया। संयुक्त राज्य अमेरिका शुरू में तटस्थ था। उसके ब्रिटेन और फ्रांस से घनिष्ट व्यापारिक संबंध थे।

उसकी कंपनियाँ इन्हें खाद्य सामग्री और युद्ध सामग्री बेचकर मालामाल हो रही थीं। इन देशों को ऋण देकर ब्याज कमा रही थी। जर्मनी की कोशिश थी कि अपनी नौसेना के बल पर वह ब्रिटेन व फ्रांस का दूसरे देशों के साथ संपर्क खत्म कर दे ताकि उनका व्यापार बंद हो और उन्हें कोई सहायता न मिले। इस कारण वह ब्रिटेन में आने वाले अमेरिकी जहाजों पर हमला करने लगा।

यहाँ तक कि जर्मनी की पनडुब्बियों ने एक अमेरिकी सामान्य यात्री जहाज़ को सारे यात्री सहित डुबो दिया। इससे क्रुद्ध होकर अमेरिका ने 6 अप्रैल 1917 को जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसके साथ ही विश्व का हर महाद्वीप युद्ध की चपेट में आ गया।

इस युद्ध में शुरू में जर्मनी को सफलता मिली। वह फ्रांस की ओर बढ़ने में सफल रहा और रूस के आक्रमण को पराजित कर पाया किन्तु शीघ्र ही ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर जर्मनी की बढ़त पर रोक लगा दी। एक लंबे समय तक दोनों सेनाएँ एक-दूसरे को आगे बढ़ने से रोकती रहीं।

पूर्व में रूस को हार का सामना करना पड़ा और अन्त में वहाँ सन् 1917 में क्रांति हुई जिसका एक मुख्य ध्येय लोकतंत्र और युद्ध समाप्ति था। रूस की क्रांतिकारी सरकार जर्मनी से समझौता करके युद्ध से अलग हो गई।

उसी समय सन् 1917 में अमेरिका के युद्ध में प्रवेश से उसके असीम संसाधन जर्मनी के खिलाफ उपयोग में आये। अमेरिका के युद्ध में प्रवेश से निर्णायक मोड़ आ गया और जर्मनी में सम्राट कैसर विलियम के खिलाफ लोकतंत्र की स्थापना के लिए क्रांति हुई।

क्रांतिकारी सरकार ने युद्ध समाप्ति के लिए कदम उठाया और अमेरिका के पहल पर 11 नवंबर 1918 में युद्ध विराम की घोषणा हुई। इस प्रकार सवा चार वर्ष तक चलने वाला यह युद्ध समाप्त हुआ। इस युद्ध में लगभग 80 लाख सैनिक मारे गए, लगभग 2 करोड़ व्यक्ति घायल हुए या युद्ध के कष्ट सहने के कारण मर गए।

कुल मिलाकर विभिन्न राष्ट्रों को 40,000 मिलियन पौड का आर्थिक भार वहन करना पड़ा था और अस्त-व्यस्त सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए प्रयास करना पड़ा।

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