श्रम : उद्योगों में काम करने के लिए कुशल और प्रशिक्षित मजदूरों की आवश्यकता होती है साथ ही कुछ कुशल मैनेजर, वैज्ञानिक, कम्प्यूटर प्रोग्रामर आदि की ज़रूरत होती है। औद्योगीकरण की यह भी जरूरत है कि कुछ लोग लीक से हटकर सोचें, नई-नई चीज़ों की खोज करें, समस्याओं के नए हल खोजते रहें अर्थात् लोग सृजनशील और भीड़ से हटकर सोचने वाले बनें।
विकासशील देशों में मज़दूरों की समस्या बहुत भिन्न रूप में है। सघन जनसंख्या वाले देशों में बेकारी की समस्या गंभीर है। अतः वे सस्ते में काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन उनमें कुशलता की कमी होती है। वे अधिकांशतः अशिक्षित होते हैं और आधुनिक उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होते। देश के कई कारीगरों को कुशलता हासिल करने के लिए विदेशों में ट्रेनिंग के लिए भेजना पड़ा है।
रोज़गार के मामले में महत्वपूर्ण परिवर्तन यह हुआ है कि कंपनियों ने अब स्थाई मज़दूर व कर्मचारी रखना कम कर दिए हैं और वे अस्थाई या ठेके पर मजदूर रखने लगी हैं या काम का आउटसोर्सिंग करने लगी हैं। इससे कंपनी की श्रम लागतों में काफी बचत हो रही है। यह परिस्थिति यूरोप और अमेरिका के विकसित देशों की परिस्थितियों से बहुत भिन्न है।