मान लें किसी गाँव के नीचे गहराई में चूना पत्थर का भंडार पता चला तो वह चूना पत्थर किसका होगा, जमीन के मालिक का, पूरे गाँववालों का या पूरे राज्य या देश का? अलग-अलग देशों में इसके संबंध में अलग-अलग कानून है। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में वह जमीन के मालिक का होगा जबकि जर्मनी जैसे देशों में वह केन्द्र सरकार का होगा।
भारत में इस संबंध में माना गया है कि जमीन की गहराई में जो भी खनिज मिले वह पूरे देश का होगा और उसके उपयोग संबंधी नियम केन्द्र सरकार बनाएगी। लेकिन भारतीय कानून में कई लघु खनिज भी हैं जिनके उपयोग संबंधित नियम कानून राज्य सरकार को बनाना होता है।
जो कोई खनन करता है वह सरकार से अनुमति प्राप्त करके ही करेगा और प्राप्त खनिज के लिए सरकार को रॉयल्टी शुल्क चुकाएगा और उस जमीन का किराया भी चुकाएगा।
संक्षेप में हर प्रकार का खनिज सार्वजनिक संपत्ति यानी सभी भारतीयों की साझी सपत्ति है जिसका उपयोग सबके हित के लिए किया जाना है। सभी लोगों की ओर से केन्द्रीय और राज्य सरकारें इनके उपयोग का संचालन करेंगी और उनसे मिलने वाली आय का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए करेंगी।