ताँबा (Copper) – ताँबे का उपयोग मानव प्राचीन काल से कर रहा है। ताँबे के साथ टिन मिश्रित करके कॉस्य का निर्माण किया गया था। ताँबे के मिश्रण से पीतल भी बनाया जाता है जिसका उपयोग उपकरण, सिक्के आदि बनाने में किया जाता है। उन्नीसवीं सदी में विद्युत के आविष्कार के बाद ताँबे का महत्व बहुत बढ़ गया क्योंकि यह ताप तथा बिजली का सुचालक है तथा रासायनिक क्षरण का अवरोधक है। इसी कारण आधे से अधिक ताँबे का प्रयोग विद्युत उद्योग में किया जाता है। ताँबा मिश्र धातुओं का उपयोग टेलीफोन, रेडियो, रेल उपकरण, हवाई जहाज, जल जहाज़, रेफ्रिजिरेटर, घरेलू उपयोग की अन्य चीजें तथा युद्ध सामग्री बनाने में किया जाता है।
ताँबा अयस्क
देश के कई भागों में ताँबे की खोज की जा रही है। भारत में ताँबा अयस्क का कुल अनुमानित भंडार (1) अप्रैल 2010 में) 155 करोड़ टन आँका गया है। फिर भी भारत में ताँबा उत्पादन अपेक्षाकृत कम है और माँग की अधिकता के कारण इसका आयात होता है।
ताँबे का अधिकांश जमाव झारखण्ड, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों में है। साथ ही इसके छोटे संचय गुजरात, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी पाए गए हैं। देश का 37 प्रतिशत से अधिक भंडार झारखण्ड राज्य में है। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित मलाजखण्ड ताँबा की खान देश में प्रसिद्ध है।