मुंबई-पुणे प्रदेश,

2 हुगली औद्योगिक प्रदेश इस औद्योगिक प्रदेश का विकास यद्यपि मुंबई औद्योगिक प्रदेश जैसा नहीं हो पाया लेकिन यह भारत का सर्वप्रथम विकसित औद्योगिक प्रदेश है। हुगली नदी के दोनों ओर इस प्रदेश का विकास हुआ है। कोलकाता एवं हावड़ा को इस प्रदेश का हृदय स्थल कहा जाता है। इस संदर्भ में हुगली को इस प्रदेश की रीढ़ के रूप में चिन्हित किया गया है।

इस प्रदेश में औद्योगिक विकास का आरंभ 1662 से 1694 के बीच हुआ जब हुगली नदी को पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इस नदीय पत्तन के विकास के साथ ही कोलकाता देश का अग्रणी केंद्र बन गया।

इस औद्योगिक प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केंद्र हल्दिया, सिरामपुर, रिसरा, हावड़ा, कोलकाता, शिवपुर, नेहाटी, टीटागढ़, सादपुर, बजबज, बिरलापुर, बंसबेरिया आदि हैं। इन केंद्रों में अनेक प्रकार के उद्योग विकसित हुए हैं। यहाँ सबसे अधिक जूट उद्योगों का विकास हुआ है। भारत के 70 प्रतिशत जूट के सामान इसी प्रदेश में बनाए जाते हैं। ज्ञात हो कि भारत विभाजन के बाद पटसन उत्पादक क्षेत्रों का अधिकांश बांग्लादेश में चला गया है जो तब पूर्वी पाकिस्तान था। इस समस्या का निराकरण अधिक पटसन पैदा कर किया गया। जूट उद्योग के साथ और भी कई उद्योग हैं। कोलकाता एवं टीटागढ़ में कागज तैयार किया जाता है जबकि महीन सूती वस्त्र के 25 कारखाने इस प्रदेश में हैं। देश में इंजीनियरिंग उद्योगों का यह सर्वश्रेष्ठ क्षेत्र माना जाता है। यहाँ डीजल एवं विद्युत इंजन, डीज़ल पंपसेट, बिजली की मोटरें, पंखे, मोटरगाड़ियाँ, पेट्रोरसायन, जलयान, इलेक्टॉनिक्स एवं कम्प्यूटर बनाए जाते हैं। देश का सबसे बड़ा मोटरगाड़ियाँ बनाने का कारखाना हिंद मोटर्स’ उत्तरपाड़ा में स्थित है। कोलकाता की गार्डन रीच फैक्ट्री नौसैनिक, मछली पकड़ने एवं सामान ढोने तथा अन्य प्रकार के जलयान बनाने में विख्यात है। हल्दिया को देश के सबसे बड़े तेल शोधन केंद्र एवं पेट्रोरसायन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

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