ग्रामीण अधिवासों को प्रभावित करने वाले
कारक –
- प्राकृतिक कारक भूमि की बनावट जलवायु, ढाल की दिशा, मृदा की उर्वरता, अपवाह तंत्र, भूजल स्तर आदि कारकों का प्रभाव आवास के बीच की दूरियों व प्रकार इत्यादि पर पड़ता है। राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता निर्णायक कारक है इसलिए वहाँ मकान किसी तालाब या कुएं के आस-पास संकेन्द्रित है।
- जाति व सांस्कृतिक कारक जातीयता, समुदाय, अधिवासों के प्रकार को प्रभावित करते हैं। भारत में सामान्य रूप से पाया जाता है कि प्रमुख भू-स्वामी जातियाँ गाँव के केन्द्र में बसती हैं और अन्य सेवाएँ प्रदान करने वाली जातियों ग्राम की परिधि में बसती हैं। इसका परिणाम सामाजिक पृथकता तथा अधिवासों का छोटी-छोटी इकाईयों में टूटना है।
सन् 1988 में राष्ट्रीय आवास नीति की घोषणा की गई जिसका दीर्घकालीन उद्देश्य आवासों की कमी की समस्या को दूर करना एवं अपर्याप्त आवास व्यवस्था को सुधारना तथा सब के लिए बुनियादी सेवाओं एवं सुविधाओं का एक न्यूनतम स्तर मुहैय्या कराना था। इसी क्रम में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए इंदिरा आवास योजना लागू की गई। इसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के अतिरिक्त सेवानिवृत्त सेना और अर्ध सैनिक बल के मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिवारों को शामिल किया गया। 3 प्रतिशत मकान शारीरिक और मानसिक विकलांगों के लिए आरक्षित हैं। यह कार्य जिला ग्रामीण विकास एजेन्सी, जिला परिषद इंदिरा आवास योजना के तहत किया जाता है।
ग्रामीण विकास योजना के तहत इंदिरा आवास के अतिरिक्त अटल आवास योजना, दीनदयाल उपाध्याय आवास योजना, अम्बेडकर आवास योजना आदि भी क्रियान्वित है।