भारत में नगरीकरण और समस्याएँ

भारत में नगरीकरण और समस्याएँ

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश के बहुमुखी विकास के साथ नगरीय जनसंख्या में तेजी के साथ वृद्धि हुई। जनसंख्या का यह स्थानांतरण रोजगार का अभाव, कृषि भूमि पर अधिक दबाव, उत्पादकता में गिरावट, निम्न रहन-सहन इत्यादि के कारण हो रहा है।

नगरों में रोजगार के अधिक अवसर, मजदूरी की अधिक दरें, शहरों के चकाचौंधपूर्ण जीवन से ग्रामीण जनसंख्या आकर्षित होती है। प्रवास की इस प्रवृत्ति के कारण नगरों में कई समस्याएँ जन्म ले चुकी है –

  1. पर्यावरणीय समस्या नगरों में जनाधिक्य के कारण सबसे ज्यादा प्रदूषण वायु तथा जल में देखने को मिलता है। महानगरों में प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों एवं औद्योगिक संस्थानों द्वारा मिश्रित विषैले रसायन है जिसमें सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सीसा एवं नाइट्रस ऑक्साइड होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक घातक है।

इसी तरह बढ़ती नगरीकरण की प्रवृत्ति ने जल को भी प्रभावित किया है। आवासों की बढ़ती संख्या के कारण वर्षा का जल रिसकर अंदर नहीं जा पाता, फलस्वरूप धरातलीय जल स्तर में कमी हो रही है।

महानगरों में स्थित कल कारखानों का जल नदी-नालों में बहा दिया जाता है। जिसके कारण नदियों का जल पीने योग्य नहीं रह जाता। दिल्ली के पास यमुना मात्र एक नाला बनकर रह गई है। कानपुर स्थित चमड़े के कारखानों के कारण गंगा नदी का जल उपयोगी नहीं रह गया।

इसी प्रकार अधिकांश महानगरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 70 से 80 डेसिबल पहुँच गया है जो श्रवण के लिए

बाधक है।

  1. आवास की समस्या – भारत के विभिन्न महानगरों की कुल नगरीय आबादी का एक बड़ा भाग झुग्गी झोपड़ियों में निवास करता है। इन झोपड़ियों में निवास करने वाले ग्रामीण क्षेत्रों से स्थानान्तरित निर्धन तबके के लोग होते हैं जो अर्थाभाव के कारण उच्च वर्ग के लोगों की बस्तियों के किनारे झुग्गी बनाकर रहने लगते हैं। इनका शैक्षिक स्तर निम्न होता है तथा नगरों की साफ-सफाई व्यवस्था का बोध न होने के कारण शहरी वातावरण संकटमय हो जाता है। यद्यपि इन्ही बस्तियों से सस्ती दर पर अमीर घरों में काम करने वाले श्रमिक सुलभ होते हैं। अमीरी-गरीबी की बढ़ती हुई इस खाई के कारण गरीबों में अपराधिक भावना भी पनपती है जिससे मानव जीवन तनावग्रस्त हो जाता है।
  2. रोजगार की समस्या जिस अनुपात में नगरों में जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी अनुपात में रोजगार में वृद्धि नहीं हो पा रही है गाँवों से शहरों की ओर अधिक स्थानान्तरण होने के कारण शहरों में कम मजदूरी पर कार्य करना पड़ता है जिससे सामाजिक अव्यवस्था बढ़ती जाती है।

इस तरह भारत में बढ़ते नगरीकरण के कारण कई समस्याएँ पैदा हो गई है। इन्हें रोकने हेतु जनसंख्या वृद्धि पर काबू करना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर जैसे महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का प्रभावी क्रियान्वयन हो।

इस समस्या का समाधान करने के लिए नगरों के समान ही गाँव में समस्त सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 15 अगस्त 2003 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गाँवों में नगरीय सुविधाओं की घोषणा की जिसे पुरा (PURA-PROVIDING URBAN AMENITIES IN RURAL AREAS) योजना कहा जाता है। इस योजना में ग्राम पंचायत और पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के सहयोग से गाँव में नगरीय सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थित आरंग विकास खण्ड के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय स्टेडियम के समीप बकतरा गाँव को इसी योजना के तहत गोद लिया गया है।

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