युद्ध और महिलाएँ

युद्ध और महिलाएँ

जैसे कि हमने पहले देखा था कि विश्व युद्ध के दौरान विभिन्न देशों में महिलाओं की स्थिति में बहुत तेज़ी से बदलाव हुए। ज़्यादातर नौजवान पुरुषों के सेना में भर्ती होने के कारण अब महिलाओं को कारखानों और खेतों में काम करने के लिए आगे आना पड़ा। घर में कमाने वाले पुरुष के न होने से महिलाओं को घर संभालने के साथ-साथ मज़दूरी के लिए बाहर काम करना पड़ा।

इसका महिलाओं पर गहरा असर पड़ा। वे अपने आपको अधिक स्वतंत्र और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार महसूस करने लगीं और अपने हितों व अधिकारों की रक्षा को लेकर सचेत हुई। युद्ध खत्म करने व शान्ति बहाल करने की माँग को लेकर महिलाओं ने कई देशों में आंदोलन किया क्योंकि युद्ध की विभीषिका से सबसे अधिक महिलाएँ ही प्रभावित थीं।

जगह-जगह महिलाओं के संगठन यह माँग करने लगे कि महिलाओं की बदलती भूमिका को देखते हुए उन्हें संसदीय चुनाव में वोट डालने का अधिकार होना चाहिए। सबसे पहले ब्रिटेन की संसद में सन् 1918 में 30 वर्ष से अधिक उम्र की सम्पत्तिवान महिलाओं को वोट देने का निर्णय हुआ। जर्मनी और रूस की क्रांतिकारी सरकारों ने सभी वयस्क महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया।

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